The legend Rahat Indori Ji is no more with us. But he will be remembered by his fascinate Poetry and his stun writing skills.
Here is the list of Some beautiful lines written by Rahat Indori Sahab.
फूक़ डालूगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनिया
ये तेरा ख़त तो नहीं है की जला भी न सकूं।
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पे वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो,
तैर के दरिया पार करो
फूलों की दुकानें खोलो,
ख़ुशबू का व्यापार करो
इश्क़ ख़ता है तो ये ख़ता
एक बार नहीं सौ बार करो।
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे
फकीरी पे तरस आता है
अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है
जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे
फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो
इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो
अफवाह थी की मेरी तबियत खराब है
लोगों ने पूछ-पूछ के बीमार कर दिया।
अब कहां ढूढने जाओगे हमारे कातिल
आप तो तत्ल का इल्जाम हमीं पर रख दो।
शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम
आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे|
दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो है
ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया।
लोग हर मोड़ पे रूक रूक के संभलते क्यूँ है
इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है।
कही अकेले में मिलकर झंझोड़ दूँगा उसे
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे
मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है
उस का इरादा मैंने किया था की छोड़ दूँगा उसे।
मैंने दिल दे कर उसे की थी वफ़ा की इब्तिदा
उसने धोखा दे के ये किस्सा मुकम्मल कर दिया
शहर में चर्चा है आख़िर ऐसी लड़की कौन है
जिसने अच्छे खासे एक शायर को पागल कर दिया।
मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को
समझ रही थी की ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे।
My favorite one | Rahat Indori sahab poetry
जितने अपने थे सब पराये थे
जितने अपने थे, सब पराये थे,
हम हवा को गले लगाए थे.
जितनी कसमे थी, सब थी शर्मिंदा,
जितने वादे थे, सर झुकाये थे,
Rahat indori best shayri
जितने आंसू थे, सब थे बेगाने,
जितने मेहमां थे, बिन बुलाए थे.
सब किताबें पढ़ी-पढ़ाई थीं,
सारे किस्से सुने-सुनाए थे.
एक बंजर जमीं के सीने में,
मैने कुछ आसमां उगाए थे.
सिर्फ दो घूंट प्यास कि खातिर,
उम्र भर धूप मे नहाए थे.
हाशिए पर खड़े हूए है हम,
हमने खुद हाशिए बनाए थे.
मैं अकेला उदास बैठा था,
सामने कहकहे लगाए थे.
है गलत उसको बेवफा कहना,
हम कौन सा धुले-धुलाए थे.
आज कांटो भरा मुकद्दर है,
हमने गुल भी बहुत खिलाए थे.
अजीब लोग हैं
मैं लाख कह दूं कि आकाश हूं ज़मीं हूं मैं
मगर उसे तो ख़बर है कि कुछ नहीं हूं मैं
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को
वहां पे ढूंढ रहे हैं जहां नहीं हूं मैं
बुलाती है मगर जाने का नहीं| Most Popular
बुलाती है मगर जाने का नहीं
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं
ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो
चले हो तो ठहर जाने का नहीं
सितारे नोच कर ले जाऊंगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं
वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नहीं
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नहीं
किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है | Rahat Indori
अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है
ये सब धुआ है कोई आसमान थोड़ी है..
लगेगी आग तो आएगे घर कई ज़द मे
यहा पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है..
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह मे तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है..
मै जानता हू के दुश्मन भी कम नही लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है..
जो आज साहिब-ए-मसनंद है कल नही होगे
किरायेदार है जाती मकान थोड़े है..
सभी का खून है शामिल यहा की मिट्टी मे
किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है..
ना हम-सफ़र ना किसी हम-नशीं से निकलेगा |
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा |
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं |
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं |
मैं मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना |
लहू से मेरी पेशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना |
Read मजदूरों का पलायन
Khushi Chaudhary
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Woww … kuch to magic h inki shayari m . Rip sir
yes