Poetry संघर्ष Naveen singhJune 12, 2021June 14, 2021 ~ संघर्ष ~ कहीं पे नबी,कहीं पे अजनबी,खुद का बनके खुदा - काफीर हो गया हूं,जिंदगी जी रही है - हर लम्हा मुझे,मंजिल क्या मिली - ' मुसाफ़िर ' हो...