एकांत

"एकांत" ‍इतना भी दूर जाने की जरूरत क्या है!नहीं देखेंगे तेरी सूरत - ये सूरत क्या है!धनवान था तो पत्थर पे भी माथा रख दिया,आज मैं फकीर हूं - मुझे...

संघर्ष

~ संघर्ष ~ कहीं पे नबी,कहीं पे अजनबी,खुद का बनके खुदा - काफीर हो गया हूं,जिंदगी जी रही है - हर लम्हा मुझे,मंजिल क्या मिली - ' मुसाफ़िर ' हो...

खत

~ खत ~ तुम जमाने से सबकुछ छुपा लेना,मेरा नाम ना लेना मेरे किस्से दबा लेना,यहां तक कि कोई जो पूछे - किसी से इश्क था कभी?गहरी सांसें नहीं लेना...