Poetry एकांत Naveen singhNovember 25, 2021November 25, 2021 "एकांत" इतना भी दूर जाने की जरूरत क्या है!नहीं देखेंगे तेरी सूरत - ये सूरत क्या है!धनवान था तो पत्थर पे भी माथा रख दिया,आज मैं फकीर हूं - मुझे...