Khil Uthogi

Khil Uthogi एक दिन तुम किसी ग़ज़ल में कमल बन खिल उठोगी |सोने फीके लगेंगे और तुम पीतल बन खिल उठोगी | हमसे तो बेचारगी देखी ही नहीं जाती बाजार की,शहर की चकाचौंध एक तरफ, तुम गाँव सी सरल बन खिल उठोगी | पैरों मैं पड़े बेड़ियों के दाग दुखद तो हैं ,तुम फूल हो … Continue reading Khil Uthogi